Shibu Soren Death News: झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ का निधन, एक युग का अंत
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री: शिबू सोरेन का निधन, झारखंड में शोक की लहर
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के संस्थापक शिबू सोरेन का 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय ‘दिशोम गुरु’ लंबे समय से किडनी से संबंधित बीमारी से जूझ रहे थे और पिछले एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की खबर ने पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ दी है। शिबू सोरेन ने न केवल झारखंड के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि आदिवासी अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए भी उनका योगदान अविस्मरणीय है।
इस लेख में हम Shibu Soren Death News के बारे में विस्तार से जानेंगे, उनके जीवन, उपलब्धियों, और झारखंड की राजनीति पर उनके प्रभाव को समझेंगे। साथ ही, हम एक FAQ सेक्शन के माध्यम से उनके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के जवाब भी देंगे।
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शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा: कब हुआ?
1. अस्पताल में भर्ती और स्वास्थ्य की स्थिति
शिबू सोरेन को जून 2025 के अंतिम सप्ताह में किडनी से संबंधित गंभीर बीमारी के कारण दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत पिछले कुछ दिनों से नाजुक बनी हुई थी, और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। 2 अगस्त 2025 तक उनकी स्थिति स्थिर नहीं हो सकी, और 4 अगस्त 2025 को सुबह उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।
2. हेमंत सोरेन का भावुक संदेश
शिबू सोरेन के पुत्र और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता के निधन के समय दिल्ली में मौजूद थे। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा:
“आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं…”
यह संदेश झारखंड के लोगों के दिलों को छू गया और सोरेन के निधन की खबर को और भी मार्मिक बना दिया।
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शिबू सोरेन: झारखंड के ‘दिशोम गुरु’

1. JMM के संस्थापक और आदिवासी नेता
शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक नेताओं में से एक थे। उन्होंने 38 वर्षों तक JMM का नेतृत्व किया और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनकी अगुवाई में JMM ने झारखंड के आदिवासी इलाकों में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का अभियान चलाया, जिसने राज्य को एक अलग पहचान दिलाई।
2. झारखंड राज्य निर्माण में योगदान
शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य की मांग को नेतृत्व प्रदान किया। उनके अथक प्रयासों और आंदोलन के परिणामस्वरूप 15 नवंबर 2000 को झारखंड को बिहार से अलग करके एक नया राज्य बनाया गया। इस उपलब्धि ने उन्हें ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि दिलाई, जो आदिवासी समुदायों के लिए एक आध्यात्मिक और राजनीतिक मार्गदर्शक का प्रतीक है।
3. तीन बार मुख्यमंत्री
शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में JMM ने आदिवासी हितों को प्राथमिकता दी और सामाजिक न्याय के लिए कई नीतियां लागू कीं। उनकी नीतियों ने झारखंड के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में विकास को गति दी।
4. संस्थापक संरक्षक का सम्मान
2025 के अप्रैल में JMM के केंद्रीय अधिवेशन में शिबू सोरेन को ‘संस्थापक संरक्षक’ का सम्मान दिया गया, जबकि उनके बेटे हेमंत सोरेन को केंद्रीय अध्यक्ष बनाया गया। यह सम्मान उनके जीवनकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक था।
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झारखंड में शोक की लहर
शिबू सोरेन के निधन की खबर फैलते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, और आम लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। झारखंड सरकार ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवेदना व्यक्त की।
राज्यपाल, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, और अन्य नेताओं ने उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की थी, लेकिन उनके निधन ने सभी को गहरा झटका दिया। शिबू सोरेन का जाना न केवल JMM के लिए, बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
शिबू सोरेन की विरासत
शिबू सोरेन का जीवन और कार्य झारखंड के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनकी उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:
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आदिवासी अधिकारों की रक्षा: उन्होंने आदिवासी समुदायों के लिए शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी।
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झारखंड निर्माण आंदोलन: अलग झारखंड राज्य का गठन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी।
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सामाजिक चेतना: JMM के माध्यम से उन्होंने ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सामाजिक चेतना का प्रसार किया।
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राजनीतिक नेतृत्व: तीन बार मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने झारखंड के विकास के लिए कई नीतियां लागू कीं।
उनके पुत्र हेमंत सोरेन अब उनकी राजनीतिक और पारिवारिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हेमंत वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री और JMM के केंद्रीय अध्यक्ष हैं।
FAQ: शिबू सोरेन और उनके निधन से जुड़े सवाल
1. शिबू सोरेन का निधन कब और कहां हुआ?
शिबू सोरेन का निधन 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के श्री गंगा राम अस्पताल में हुआ। वे किडनी से संबंधित बीमारी के कारण एक महीने से अस्पताल में भर्ती थे।
2. शिबू सोरेन को ‘दिशोम गुरु’ क्यों कहा जाता था?
शिबू सोरेन को आदिवासी समुदायों के लिए उनके आध्यात्मिक और राजनीतिक मार्गदर्शन के कारण ‘दिशोम गुरु’ कहा जाता था। उन्होंने JMM के माध्यम से आदिवासी अधिकारों और झारखंड निर्माण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया।
3. शिबू सोरेन ने झारखंड के लिए क्या किया?
शिबू सोरेन ने अलग झारखंड राज्य के गठन में नेतृत्व किया, आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष किया, और JMM के संस्थापक के रूप में सामाजिक-राजनीतिक चेतना का प्रसार किया। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री भी रहे।
4. हेमंत सोरेन ने अपने पिता के निधन पर क्या कहा?
हेमंत सोरेन ने X पर लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं…”
5. शिबू सोरेन की बीमारी क्या थी?
शिबू सोरेन किडनी से संबंधित गंभीर बीमारी से पीड़ित थे और जून 2025 से अस्पताल में भर्ती थे। उनकी हालत नाजुक होने के कारण वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे।
6. JMM का भविष्य अब कैसा होगा?
JMM की कमान अब हेमंत सोरेन के हाथों में है, जो वर्तमान में केंद्रीय अध्यक्ष और झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। शिबू सोरेन की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उन पर है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध विभिन्न स्रोतों से ली गई है। हम इसकी सटीकता या पूर्णता की गारंटी नहीं देते। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस जानकारी को सत्यापित करने के लिए आधिकारिक स्रोतों का सहारा लें।
निष्कर्ष: एक युग का अंत
Shibu Soren Death News ने झारखंड की राजनीति में एक शून्यता पैदा कर दी है। ‘दिशोम गुरु’ के रूप में उनकी स्मृति और योगदान हमेशा जीवित रहेंगे। उनके संघर्ष, नेतृत्व, और आदिवासी समुदायों के लिए समर्पण ने झारखंड को एक नई दिशा दी। उनकी विरासत को उनके पुत्र हेमंत सोरेन और JMM के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा।
शिबू सोरेन का निधन न केवल एक परिवार का नुकसान है, बल्कि पूरे झारखंड के लिए एक युग का अंत है। उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।
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