अहमदाबाद प्लेन क्रैश 2025: 241 लोग झुलसे, हर एयर टिकट के साथ अब एक डर मिलेगा..

अहमदाबाद प्लेन क्रैश 2025 Not a real image only viusal purpose

टेकऑफ के चंद मिनटों में मौत बनकर टूटा विमान, यात्रियों की चीखों ने रुह कंपा दिया पूरा देश का..

अहमदाबाद के प्लेन क्रैश की आग में 241 लोग झुलसे लेकिन समूचा हिंदुस्तान डरा हुआ है यह सिर्फ एक विमान दुर्घटना नहीं थी यह देश की रगों में उतरता डर था एक ऐसा डर जो हमें हर एयर टिकट के साथ अब मिलेगा हर बार हमारी आत्मा पर दस्तखत देकर सवाल पूछेगा कि क्या वो जो जली हुई लाशें हैं जो शायद अब केवल एक आंकड़ा है क्या वो हमारी भी हो सकती थी क्या वो परिवार जो जलकर राख हो गया वो हमारा या हमारे अपनों का हो सकता था और यह ख्याल समूचे हिंदुस्तान को डरा रहा है इस डर से भारत को बाहर आने में वक्तलेगा क्योंकि यह डर हर उस इंसान का है जिसने कभी भी प्लेन में सफर किया है या सफर करने की प्लानिंग कर रहा था क्योंकि अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट में जो कुछ हुआ वो सिर्फ एक विमान में आग लगना नहीं था यह आग हर भरोसे में लगी थी

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हादसे की शुरुआत: टेकऑफ के बाद पलभर में बदल गया सब कुछ

गुजरात के अहमदाबाद में गुरुवार (12 जून) की दोपहर Air India के पैसेंजर विमाग AI-171 क्रैश हुआ है, जिसकी डरावनी तस्वीरें सामने आ रही हैं. अहमदाबाद के मेघानीनगर इलाके में आग की बड़ी-बड़ी लपटेंं देखी गईं. वहीं, काले धुएं का गुब्बारा दूर से ही देखा जा सकता है. इस विमान में 242 यात्री सवार थे जिसमे 241 यात्रीयो  की मौत हो गई है.

बता दें, इस विमान में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी सवार थे, जो अपने परिवार से मिलने के लिए लंदन जा रहे थे और 10 क्रू मेंबर, 2 पायलट और 230 यात्री भी सवार थे . यह AI-171 विमान लंदन के लिए उड़ान भर रहा था. अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से टेकऑफ करते समय ही आसपास की इमारत या दीवार से टकराने से प्लेन क्रैश हुआ है.

हादसे में Boeing कंपनी का B-787 Dreamliner शामिल था.यह पहला मौका नहीं है, जब‍ बोइंग के विमान दुर्घटनाग्रस्‍त हुए हैं. इससे पहले भी बोइंग कंपनी के कई विमान क्रैश हुए हैं. बोइंग कंपनी का कहना है कि Boeing 787 ड्रीमलाइनर, पहली बार क्रैश हुआ है. हालांकि बोइंग का 737 मैक्‍स कई बार क्रैश हो चुका था. साल 2018, 2019 और इस विमान को अपडेट करने के बाद 2024 में भी यह विमान क्रैश हुआ था, जिसमें 500 लोगों से ज्‍यादा की जान चली गई.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश 2025:जानिए क्या पूरी जानकारी पुरे विस्तार से 

अहमदाबाद के प्लेन क्रैश की आग में 241 लोग झुलसे लेकिन समूचा हिंदुस्तान डरा हुआ है यह सिर्फ एक विमान दुर्घटना नहीं थी यहदेश की रगों में उतरता डर था एक ऐसा डर जो हमें हर एयर टिकट के साथ अब मिलेगा हर बार हमारी आत्मा पर दस्तखत देकर सवाल पूछेगा कि क्या वो जो जली हुई लाशें हैं जो शायदअब केवल एक आंकड़ा है क्या वो हमारी भी होसकती थी क्या वो परिवार जो जलकर राख हो गया वो हमारा या हमारे अपनों का हो सकता था और यहख्याल समूचे हिंदुस्तान को डरा रहा है इस डर से भारत को बाहर आने में वक्तलेगा क्योंकि यह डर हर उस इंसान का है जिसने कभी भी प्लेन में सफर किया है या सफर करने की प्लानिंग कर रहा था क्योंकि अहमदाबाद से लंदन जाने वाली फ्लाइट में जो कुछ हुआ वो सिर्फ एक विमान में आग लगना नहीं था यह आग हर भरोसे में लगी थी हर उस मां के सपने में लगी थी जो अपने बच्चे से कहती है कि जा बेटा आराम से पहुंच जाना

हर उस पिता की उम्मीद में लगी थी जो एयरपोर्ट पर खड़ा हाथ हिलाकर यह कहता है और सोचता है कि बस कुछ ही घंटों में मेरा बच्चा पहुंच जाएगा वहां पहुंचकर फोन करेगा अब वो सीट नंबर सिर्फ जले हुए टुकड़े हैं वो बेल्ट जो सुरक्षा का संकेत दे रही थी वो जलकर शरीर के साथ मिलकर राख हो चुकी है वो प्लेन जो उड़ना था वो जलते हुए आसमान में चीखते हुए गिरा और डर पैदा कर गया और यह डर अब हमें डरा रहा है यह डरा रहा है क्योंकि जिनसे कहा गया था कि आप अब सुरक्षित उड़ान भरने को तैयार हैं वह महज 59 सेकंड में चीख और फिर आग और देखते ही देखते आग से राख में तब्दील हो गए जो वीडियो सोशल मीडिया पर आए वो तस्वीर नहीं है वो खौफ हैं वो पिघली हुई खिड़कियां वो काले धुएं में लिपटी हुई लाशें जो कुछ हमने उस घटना के बाद देखा वो इतना ज्यादा भयावह है कि देखने से आंखें भी इंकार कर दे रही हैं यकीन नहीं आ रहा कि कोई फोन पकड़े गुड बाय इंडिया कह रहा था और उसके आखिरी शब्द हो गए किसी की मुस्कुराती हुई सेल्फी उसकी मौत की तस्वीर बन गई किसी ने अपने परिवार को जो वीडियो भेजा था वो वीडियो शायद उसके याद में जिंदगी भर उसका परिवार दिखेगा वो गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री जो अपनी पत्नी और बेटी से मिलने पहुंचे थे

अब उनकी पत्नी और बेटी यादों में रह जाएगी वो 21 साल की खुशबू जो अपने पति से मिलने जा रही थी अब वो सिर्फ तस्वीरों का हिस्सा रह जाएगी अनगिनत कहानियां है किसी की जेब से जली हुई चूड़ी मिल रही है किसी के पास एक अदजली तस्वीर है शव ऐसे हैं कि उन्हें पहचानना मुमकिन नहीं है मानो मौत ने रिश्ते से पहचान भी चुरा ली है अब डीएनए टेस्ट के जरिए पता लगेगा कौन सी लाश किसकी है और इसीलिए हम कह रहे हैं कि यह सिर्फ एक विवाद दुर्घटना नहीं थी ये हमारे देश के रगों में उतरता हुआ डर था वो डर जो अब शायद हमें सुकून से सोने नहीं देगा हम जब सफर करने जाएंगे तब हमें डराएगा जब कोई हमें कहेगा हैव अ सेफ जर्नी तो वो हमें परेशान करेगा एक ही झटकों में कैसे सैकड़ों जिंदगियां आंकड़ा बन गई अब यह डराने वाला है और भारत की ये भयावह तस्वीर हम और आप जल्दी नहीं भूल पाएंगे एक झटके में सैकड़ों जिंदगियां खत्म हो गई यह डर हर पल हम में जिंदा रहेगा 12 जून 2025 अहमदाबाद का आसमान एक ऐसी त्रासदी का गवाह बना है जिसने 140 करोड़ भारतीयों को डराया एयर इंडिया की
उड़ान जो लंदन की ओर उड़ान भरने को तैयार थी

वो 59 सेकंड में आग का गोला बनकर जमीन पर बिखर गई जो फ्लाइट में थे वो लाशों में तब्दील होगए और जहां पर यह फ्लाइट गिरी वहां पर भी लोग घायल हुए और टुकड़ों में तब्दील हो गए अब मलबे में जिंदगियां दबी हैं और यह मंजर सिर्फ आंखों के सामने नहीं बल्कि रूह में भी उतर गया है 169 भारतीय 53 ब्रिटिश सात पुर्तगाली एक कनेडाई और 11 बच्चे साथ में दो नवजात सपनों उम्मीदों और अपनों से मिलने की चाह में प्लेन में चढ़े थे लेकिन किसे पता था कि उनका यह सफर आखिरी सफर हो जाएगा वो हंसी वो सेल्फी वो सब कुछ राखमें बदल गया और यह डर अब इतना ज्यादा गहरा है कि जिन्होंने भी इन तस्वीरों को देखा है अब उनकी आंखों में वो डर समा गया है जिन परिवारों के साथ यह हुआ है उनकी आंखें आंसुओं से थमने का नाम नहीं ले रही हैं और इसीलिए हम कह रहे हैं कि इस डर से निकलने में अब सदियां लग जाएंगी अहमदाबाद का सरदार वल्लभ भाई पटेल हवाई अड्डा हर रोज की तरह चहल-पहल से था बच्चे खिड़की के बाहर झांक कर आसमान को देख रहे थे क्रू मेंबर हर बार की तरह मुस्कान के साथ यात्रियों का स्वागत कर रहे पायलट ने भी टेक ऑफ से पहले आत्मविश्वास से कहा कि हम सुरक्षित उड़ान भरने के लिए तैयार हैं

लेकिन बोइंग 787 ड्रीम लाइनर आग के गोले की तरह मलबे में तब्दील हो गया और बिखरी लाशें जले हुए सामान और मासूम चेहरों की तस्वीरें अब सिर्फ यादों में बची हैं आलम यह है कि लाशें उठाने के लिए ठेलों को लाया गया वो सज धज कर तैयार होकर किसी से मिलने किसी के साथ काम करने कोई अधूरी दास्ता को पूरा करने जो लोग निकले थे वो ठेले पर लादलाद कर लाशों की तरह जा रहे थे सिर्फ एक आंकड़े बन गए थे वो पिता जो अपनी बेटी को लंदन में पढ़ाने का वादा कर रहा था वो नई नवेली दुल्हन जो अपने पति से मिलने जा रहे थे सब कुछ खत्म हो गया सब कुछ खत्म हो गया अब कई कहानियां हैं जो आंसुओं का समंदर बन गई है जैसे जोशी परिवार की कहानी राजस्थान के बांसवाड़ा का एक खुशहाल परिवार लंदन में नई धंदगी की शुरुआत करने जा रहा था डॉक्टर प्रतीक जोशी और उनकी पत्नी डॉक्टर कामिनी जोशी जो भारत में अपनी सेवाएं दे चुके थे

वो तीन बच्चे 10 साल की आराध्या सात साल के काव्य और चार साल की माही के साथ प्लेन में चढ़े थे बच्चे नई स्कूल की बातें कर रहे थे लेकिन सब कुछ एक पल में खत्म हो गया अब उनके घर में सन्नाटा है हंसी सिर्फ तस्वीरों में बची है उनके रिश्तेदार जो विदाई देने के लिए आए थे वो यकीन नहीं कर पा रहे कि 59 सेकंड में कैसे सब कुछ खत्म हो गया 21 साल की खुशबू जो शादी के 3 महीने बाद पहली बार अपने पति से मिलने लंदन जा रही थी उसकी आखिरी सेल्फी उसकी मां के लिए बड़ा दर्द है वो सेल्फी जिसमें मुस्कुराते हुए वो प्लेन की खिड़की से बाहर देख रही थी अब आंसुओं का समंदर बन गई है खुशबू की मां बताती है कि वह कह रही थी कि मां मैं जल्दी वापस आ जाऊंगी लेकिन अब वो कभी नहीं आ पाएगी 22 साल की नंगा थोई शर्मा मणिपुर के थोबल जिले की बेटी
जिसने अप्रैल 2023 में एयर होस्टेस बनने का सपना पूरा किया था अपनी मुस्कान से हर यात्री का दिल जीतती थी अब उसकी तस्वीरें उसकी आखिरी निशानी है उसके परिवार उसकी मां का रो-रो कर बुरा हाल है और यह दर्द कोई समझ नहीं सकता गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूणी जो अपनी पत्नी और बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे वो भी इस हादसे का शिकार हो गए उनको लेकर यह खबर आई कि उनको 12 06 नंबर बहुत पसंद था उनकी गाड़ी का यह नंबर था और इत्तेफाक देखिए कि आज 12 जून 2025 है छठा महीना 126 आज तारीख है इसे आप संयोग कहेंगे या नियति का क्रूर मजाक उनकी बेटी जो फोन पर पिता से मिलने की खुशी में थी वो सिर्फ उनकी तस्वीर देखकर हो रही है ऐसी अनगिनत कहानियां है हर नाम हर चेहरा एक सवाल लेकर उठा है कि आखिर क्यों क्यों हालांकि इस 241 लोगों में एक चमत्कार भी हुआ है एक ऐसा चमत्कार जिस पर यकीन कर पाना मुश्किल है

242 लोगों में सिर्फ एक व्यक्ति बच गया

वो व्यक्ति जो सीट नंबर 11 ए पर बैठा था आग के बीच उस मलबे के बीच उस जली हुई लाशों के बीच जहां मौत ने तांडव किया वहां वो जिंदा है लोग कह रहे हैं कि यह चमत्कार है लेकिन सवाल यह है कि ईश्वर यह चमत्कार बाकी 241 जिंदगियों के साथ क्यों नहीं हुआ हम खुश हैं कि विश्वास साहब की जिंदगी बच गई हम खुश हैं कि उनके परिवार के आंखों में आंसू नहीं आए लेकिन वो 241 चेहरों के बीच जब यह चमत्कार दिखता है तो सवाल ईश्वर से भी होता है कि हे ईश्वर उन दो मासूमों को बचा लिया होता उन परिवारों को बचा लिया होता उन बुजुर्ग बूढ़ों को बचा लिया होता उन महिलाओं को बचा लिया होता उस क्रू को बचा लिया होता जो हर बार सुरक्षित यात्रा की कामना करती है और क्या उनकी जिंदगी इतनी सस्ती है रामविश्वास कुमार ये कहानी चमत्कार हो सकती है लेकिन बाकी 241 परिवारों के लिए यह सवाल बनकर रातों की नींद छीन रही है ये क्यों सिर्फ एक भगवान क्यों सिर्फ एक क्यों बाकी 241 नहीं क्या उन 241 यात्रीयो का भगवान कोई मोल नहीं यह सवाल आज हर उस शख्स के दिल में है जो अपने परिवार को अलविदा कहकर सफर पर निकलता था क्योंकि इस घटना को देखकर यह एहसास होता है कि यहां हम भी हो सकते थे यह हमारा भी परिवार हो सकता था एक तरफ विश्वास साहब को देखकर खुशी होती है लेकिन उन 241 को देखकर आंखें भर जाती है सवाल उठता है किसकी वजह से मौत हुई कौन लापरवाह था किस पर जिम्मेदारी दें उड़ान भरते विमान क्यों
गिर गया एक्सपर्ट से बात करने पर पता चलता है कि पहली नजर में यह शायद ह्यूमन एरर हो सकता है एक हेलीकॉप्टर जगह पर खड़े-खड़े उड़ जाता है लेकिन जहाज को एक फॉरवर्ड स्पीड चाहिए होती और रनवे पर दौड़ना होता कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि शायद रनवे का पूरा इस्तेमाल नहीं हुआ जिस वजह से जहाज को जरूरी फॉरवर्ड स्पीड नहीं मिली और वो टेक ऑफ नहीं कर पाया 59 सेकंड में खत्म हो गया पायलट ने हालांकि टेक ऑफ के तुरंत बाद आपातकालीन संदेश भेजा था लेकिन कोई जवाब नहीं मिला इससे कुछ लोग मानते हैं

कि गंभीर समस्या थी हालांकि 787 बोइंग जहाज जो है यह पहले क्रैश नहीं हुआ इसको उड़ाने वाले दोनों पायलट्स जो थे वो काफी अनुभवी थे ऐसे में कईयों का यह मानना है कि शायद दोनों इंजन खराब हो गए होंगे क्योंकि इसमें दो इंजन थे एक खराब होता तो दूसरा चल जाता और क्या दोनों खराब था दोनों खराब था तो फिर उड़ान को आदेश क्यों दिया गया बहुत सारे सवाल हैं जवाब शायद जब ब्लैक बॉक्स के जरिए जांच पड़ताल होगी सामने आएगा तब देखा जाएगा लेकिन आज सवाल यह है कि जिंदगी कितनी सस्ती है कितनी सस्ती है कश्मीर के पहलगाम में लोग जश्न मनाने गए घूमने गए छुट्टियां मनाने गए और मार डाले गए और यहां पर भी देखिए कोई अपनी पत्नी से मिलने जा रहा था कोई पति से मिलने जा रहा था कोई नौकरी करने जा रहा था कोई बच्चे सुनहरे भविष्य का सपना लेकर दूर देश पहुंच रहे थे कुछ ऐसे थे जो भारत घूमने आए थे और गुड बाय इंडिया कह कर निकले थे और यह सब अब इस दुनिया में नहीं है जिंदगी कितनी सस्ती हो जाती है 241 लोगों की मौत हो गई और इस मौत के साथ 140 करोड़ भारतीयों के मन में डर पैदा हो गया हर सफर अब डर का सबब बनेगा विमान जिस बिल्डिंग से टकराया वहां अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के 50 से 60 डॉक्टर थे वो खाना खा रहे थे खबर है कि बहुत सारे इसमें घायल हैं खबर आती है कि छह शव यहां भी मिले हैं स्पष्टीकरण का यहां भी इंतजार है इसीलिए हम कह रहे हैं कि यह हादसा सिर्फ 241 लोगों का हादसा नहीं है यह हमारा हादसा है यह उनका हादसा है जो टिकट लेकर अपनों से मिलने जाते हैं यह उन छात्रों का हादसा है जो विदेश जाते हैं सपनों को लेकर यह उन मां-बाप का हादसा है जो बच्चों को एयरपोर्ट छोड़ने जाते हैं

अब इस घटना के बाद 
कभी नहीं जा पाएंगे यह डर अब हर भारतीय के दिल में घर कर चुका है हर गली हर मोहल्ला हर शहर हर कस्बा हर स्टेट हर जगह यह डर अब भर चुका है और इस डर से भारत को निकलने में बहुत वक्त लगेगा या शायद इस डर के साथ ही जीना सीखना होगा हर उड़ान के साथ डर लेगा जब भी पायलट कहेगा वी आर रेडी फॉर सेफ प्लाइड तो दिल कहेगा क्या जो पायलट कह रहा है वो सच है या हमारे साथ भी वही होगा जो इस फ्लाइट में हुआ मां-बाप बच्चों को विदा करते वक्त शायद और डरेंगे और इनके साथ-साथ डर एयरपोर्ट पर काम करने वाले उस उन लोगों के लिए सोचिए वो जो दिन रात यही काम करते हैं हर रोज फ्लाइट में चढ़ते हैं उतरते हैं वो क्रू वो पायलट जो दिन रात सफर करता है उनके परिवारों का डर सोचिए हम और आप तो चलिए कुछ दिन फ्लाइट नहीं पकड़ेंगे उन्हें हर रोज इसी में सफर करना है वो डर उन परिवारों को देखकर जो अब हमेशा के लिए खामोश हो गए हर सांस में डर नजर आ रहा है कदम कदम पर खौफ नजर आ रहा है अब हर उड़ान डर का सबब है हर बार जब कोई प्लेन में चढ़ेगा तो यह सवाल आएगा मन में कि क्या मैं लौट पाऊंगा हर माता-पिता जो अपने बच्चे को विदा करेंगे वो जब कहेंगे कि बेटा जल्दी लौट कर आना तो वो डर उनके मन में आएगा कि मेरे बेटे के साथ कहीं वो तोmनहीं होगा जो अहमदाबाद में हो गया वो हंसी वो उत्साह वो सपने जो हम अपनों को विदा करते वक्त एयरपोर्ट पर करते हैं अब वो डराएंगे हमें यह डर अब भारत के हर घर में घर कर गया है टाटा ग्रुप ने हालांकि इस बीच मृतकों के परिवारों को एक एक करोड़ देने का ऐलान किया है लेकिन फिर वही कहानी है कि क्या करेंगे पैसे का जब जिंदगी ही नहीं रही क्या वो पैसा उस मां के दर्द को खरीद सकता है जिसने बच्चे की लाश देखी क्या वो उस पति की कमी को पूरा कर पाएगा जिसकी दुल्हन अब कभी नहीं लौटेगी क्या उस बेटी उस मां के जख्मों को भर पाएगा जिसका पति अब इस दुनिया में नहीं रहा क्या उस बच्चे की हंसी को लौटा पाएगा जो अपने पिता को हमेशा के लिए खो चुका इसीलिए हम कह रहे हैं कि डर डरावना है

हालांकि भारत का इतिहास हादसों से भरा रहा है 1996 का चरखी दादरी 349 जिंदगियां एक गलती में खत्म हो गई थी और इस बार 2025 का अहमदाबाद हर बार वही सवाल वहीmजवाब पायलट की गलती तकनीकी खराबी सिस्टम की नाकामी साजिशों की बात होगी कुछ आ जाएंगे कहेंगे यह सुनियोजित साजिश है लेकिन सच यही है कि हमारी दांव पर होती है हर बार हम अपनूक होते हैं और हर बार यह डर और गहरा हो जाता है और इस बार यह डर परेशान करेगा ये डर हमारी जिंदगी का हिस्सा बन जाएगा यह हादसा सिर्फ 241 जिंदगियों का नहीं हर उस भारतीय का है जो सपना देखता है अपनों से मिलने जाता है नईशुरुआत की उम्मीद करता है हर उड़ान में हरसफर में हर अलविदा में वो डर साथ चलेगा हर परिवार हर शख्स उस खौफ को जिएगा जो अहमदाबाद की सुबह ने उसे दिया वो चीखें वो आंसू वो राख ये सब हमारे साथ हैं हर सांस में हर धड़कन में हर सपने में और डर से निकलने में भारत को अब लंबा वक्त लेगा लंबा वक्त क्योंकि ये सिर्फ एक हादसा नहीं था यह डर हमारे वजूद का हिस्सा बन गया है ऐसा लगता है कि यात्रा करना जुआ बन गया है कभी ट्रेन में मौत कभी सड़क हादसे और अब फ्लाइट में मौत जिंदगी और मौत के बीच यह
एहसास होता है कि जिंदगी कितनी सस्ती है हम और आप कितनी जद्दोजहद में लगे रहते हैं लड़ते हैं झगड़ते हैं आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं कंपटीशन करते हैं जलते हैं एक दूसरे को छोटा दिखाते हैं कई बार सपनों के पीछे अपनों को भूल जाते हैं लेकिन इन सबके बीच में जब ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह एहसास होता है कि यह जिंदगी कितनी सस्ती है हम कभी भी इस दुनिया से रुखसत हो सकते हैं सोचिए 241 लोगों के सपने उन 241 लोगों के ख्वाब उनकी जद्दोजहद उनके परिवार सब राख हो गए और इसीलिए हम कह रहे हैं कि इस डर से भारत को निकलने में समय लगेगा क्या ये डर चला जाएगा जब आप शायद नहीं हां इस डर के साथ हम जीना सीख जाएंगे बट ये डर बहुत डरावना है जो बहुत डरा रहा है पूरे भारत को तो शायद शायद अब हमें उस तरह से सोने नहीं देगा वो सुकून की नींद छीन लेगा बेचैनी देगा कि हमारा कोई अपना भी इस तस्वीर का हिस्सा हो सकता था या शायद हम भी यह डराता है

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